माँ-बाप

जन्म दिया जिसने मुझे वह मेरी माँ मेरा सब कुछ है।

मेरी हर खुशी का वो ख़्याल रखती है।

चोट मुझे लगती है पर रोती वो है।

सही और ग़लत का फर्क भी वही सिखाती है।

गलत काम करने पर डात्ती जरूर है।

पर उसकी डाट में भी ममता होती है।

इसलिए तो आज बुरा काम करने जाऊँ तो

माँ का चाटा याद आता है।

 

साथ ना हो माँ तो हर पल उसका ख्याल सताता है।

कितना भी ग़ुस्सा रहूं मैं पर वहीं मुझे मनाती है।

गलती मेरी होती फिर भी वो मुझे प्यार से समझाती है।

हर लम्हा उसके साथ जो बिताया है मैंने

वो मुझे आज भी याद आता है और गम में भी हसा जाता है।

और पापा के बारे में मैं क्या कहूं, उनके लिए तो मेरे हर शब्द छोटे है।

ये वही तो है जिनकी उंगली पकड़ के मैंने चलना सीखा है।

मुश्किलों से लड़ना और गिर के फिर संभलना सीखा है।

ये वही इंसान है जो खुद भुका सोता है।

पर पूरे परिवार का पेट भरता है।

दिन रात मेहनत करता और मेरी हर जरूरत पूरी करता है।

खुद सस्ती चीज़े खरीदता पर

मुझे महेंगे से महेंगे तोहफे लाके देता है।

 

अंदर से कितना भी उदास हो पर चेहरे पे कभी नहीं दिखाता

पूरा परिवार खुश रहे इसलिए झुटी मुस्कान लिए जीता है।

अपने सारे सपने भुलाकर हमारे सपने पूरे करता है।

 

अरे भगवान नहीं होता ये कोन कहता है।

मैं कहता हूं ज़रा अपनी आंखें तो खोल

अपने माँ – बाप के चरणों को छू कर तो देख

भगवान तो तेरे घर में बैठा है।

भगवान तो तेरे घर में बैठा है ।।

– आकाश राठोड़

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